Friday, 22 June 2018

खुशियों का समन्‍दर...


खुशियाेें का समन्‍दर है उसमें से कुछ बूंदे ले सको तो लो ।
चाहे दुख कितना भी हो उसको भूल कर खुश हो सको तो हो ।।

अगर जिदंगी में मिलता हो दुख से सुकून तो ले सको लों ।
मगर ऐसा नहीं तो खुशियों में डूब सको तो डूब ।।

कौन चाहता है दुनिया में दुखी होना लेकिन,
खुश कौन है ये ढूढ़ सको तो ढूढ़ ।।

 

जिदंगी यूं मिलती नही हर बार ।
अगर खुश होकर इसको जी सको तो जी।

यह दुनिया बड़ी अजीब है किसी के सुख से जलती है
लेकिन दुख में साथ भी रहती है, अब इस दुनिया के लिए कुछ कर सको तो कर ।।

आसान नही है खुश रहना इस दुख भरे जमाने में,
लेकिन यह आपकी काबिलियत है कि इसमें भी खुश रह सकों तो रह ।।







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5 comments:

  1. वाह! क्या बात है...

    ReplyDelete
  2. My friends must give their opinion plz...
    मेरे दोस्‍तों इस ब्‍लॉग पर अपनी राय अवश्‍य दें।

    ReplyDelete

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