Friday, 22 June 2018

खुशियां स्‍वयं के अंदर


नमस्‍कार दोस्‍तों, जैसा कि मैंने पिछले ब्‍लॉग में आप लोगों को बताया था कि कैसे हम सकारात्‍मक सोच और छोटे-छोटे कामों के माध्‍यम से अपने जीवन को खुश व समृद्ध बना सकते है ठीक उसी प्रकार आज के ब्‍लॉग में कुछ ऐसी बातें बताना चाहता हूँ जिसमें हम खुश होने के कुछ और तरीकों के बारे में जानेंगे। दोंस्‍तों आपने देखा होगा कि कई लोग खुश होने के लिए यहॉं वहॉं भटकते है वह कई ऐसे कार्य करते है जिनसे उन्‍हें खुशी तो नही मिलती लेकिन वो खुशी के चक्‍कर में किसी मुसीबत में पड़ जाते है और जीवन भर ऐसे ही भटकते रहते है लेकिन उन्‍हें खुशी नसीब तक नही होती ऐसे लोगों के लिए मुझे एक कहानी याद आती है जो आप लोगों ने भी कई बार सुनी होगी। “कस्‍तूरी हिरण की नाभि के पास एक ग्लेण्‍ड(ग्रंथि) होती है जिससे बहुत ही तेज खुशबू  बाहर आती रहती है, लेकिन कस्‍तूरी हिरण इस बात से अनजान यहॉं-वहॉं भटकता उस खुशबू को ढूढ़ता रहता है, वह बहुत जगह जाता है, प्रत्‍येक पुष्‍प-पत्‍ते को सूघंता, लेकिन वह खुशबू प्राप्‍त नही होती जो उसकी स्‍वयं की नाभि से आती है, उस खुशबू की तलाश में वो स्‍वयं का सम्‍पूर्ण जीवन व्‍य‍तीत कर देता है, लेकिन उसे कुछ भी प्राप्‍त नहीं होता।“ तो देखा दोस्‍तों ठीक उस कस्‍तूरी हिरण की तरह हमारा भी सम्‍पूर्ण जीवन उस खुशी की तलाश में बीत रहा है जो कही और नही अपितु स्‍वयं के अंदर विद्यमान है और हम उसे अपने अंदर छोड़ दुनिया भर में ढूढ़ते फिर रहे है। दोस्‍तों अगर हम अपने अंदर की खुशी को नही समझ पा रहे है या समझना मुश्किल हो रहा है तो फिर दुनिया की कोई भी ताकत आपको खुशी प्रदान नही कर सकती। दोस्‍तों भौतिक वस्‍तुयें आपकों तत्‍कालिक खुशी तो प्रदान कर सकती है लेकिन यह खुशी सिर्फ और सिर्फ क्षणिक खुशी ही होती है। अगर आप चाहते है कि आप दीर्घकालीन के लिए खुश रहे तो सबसे पहले आपको स्‍वयं के अंदर से उस खुशी को ढूढ़ना होगा सोचियें अगर वह हिरण एक बार शांत मन से उस खुशबू को ढूढ़ती तो उसे कहॉ भटकना पड़ता, कही नहीं। वह उस खुशबू को अपने स्‍थान पर ही प्राप्‍त कर लेती और बिना किसी परेशानी के जीवन भर उसे प्राप्‍त करती रहती। दोस्‍तों हमें भी एक बार शांत मन से अपने अंदर की खुशी को ढूढ़ कर अपने जीवन को भी खुश और मंगलमय बनाना है क्‍योंकि जिस व्‍यक्ति के मन में शांति और खुशी नहीं है वह व्‍यक्ति जल्‍द ही किसी न किसी बीमारी की चपेट में आ जाता है और फिर उसका सारा जीवन बीमारियों के इर्द-गिर्द ही निकल जाता है वह इनसे बाहर निकलने का लाख प्रयास करता है लेकिन वह निकल नही पाता है इसलिए दोंस्‍तों हमें खुश रहना बहुत जरूरी है और ऐसा हम रोजमर्रा के कार्यों को पूर्ण करते हुये कर सकते है हम जो भी कार्य करें उसे पूरी तन्‍मयता और खुश होकर करें, हर कार्य को कुछ इस अंदाज में करें कि दिल कहे आज तो मजा ही आ गया, दोस्‍तों एक बार आपके जीवन की दिनचर्या इस प्रकार बन गयी तो फिर आपकों सुखी और समृद्ध होने से कोई भी नहीं रोक सकता और आप खुश होने के साथ साथ अपने लक्ष्‍यों को भी प्राप्‍त कर लेंगे। दोंस्‍तों आप आज कितने भी दुखी है लेकिन एक बात याद रखना कि घने से घने अंधेरे में में उजाले की एक किरण जरूर होती है और गंभीर से गंभीर दुख में भी सुख छिपा होता है, यह बात आपको जानना होगा कि कोई भी समय स्‍थाई नहीं होता अगर आप दुखी है तो उसका कुछ समय निर्धारित है और वह समय व्‍यतीत होने के बाद आपका दुख स्‍वत: ही समाप्‍त होने लगेगा। दोस्‍तों इससे संबधित ही मैं एक कहानी बताता हूँ:- एक आदमी बहुत दुखी था और वह भगवान से रोज प्रार्थना करता था कि हे भगवान, मैंने ऐसा क्‍या गुनाह किया है जो आपने मुझे इतना दुख दिया? सारी दुनिया सुखी है सिर्फ मुझ को छोडकर। और अगर कोई व्‍यक्ति दुखी होता भी है तो वह भी मुझसे कम ही दुखी होता है आखिर मेरा कसूर क्‍या है जो इतना दुखी हूँ? एक रात उसने सपना देखा। सपने में देखा कि आकाश से भगवान बोले कि उठ, आज तुम्‍हारी बदलाहट कर देते है। तुम कहते हो न कि सब तुमसे सुखी है और तुम सबसे ज्‍यादा दुखी हो? वह बोला, हॉं भगवान! यही तो बोल रहा हूँ। पूरी उम्र यही तो कह रह हूँ लेकिन अब मेरी सुनवाई हूई। भगवान ने कहा, चलो। एक बड़े भवन की तरफ पूरा नगर जा रहा है, सभी लोग अपने अपने दुखों की गठरी बना कर लिये जा रहे है, सभी को कहा गया है कि अपने-अपने दुख, और सुख को जल्‍दी लेकर पहुंच आज उनको बदलने का अवसर है। धर्मस्‍थल पहुंच कर सभी लोग इकठ्ठा थे और अपनी- अपनी गठरी साथ लिये थे। फिर यह आदेश हुआ कि अपनी अपनी गठरी निर्धारित स्‍थान पर रख दो। गठरी रख दी गयी। तत्‍पश्‍चात आज्ञा हूई कि अब जिसको भी जिसकी गठरी लेनी है वह ले, लें। सभी लोग तेजी से भागे यह आदमी भी भागा; लेकिन यह क्‍या सभी लोगों ने तो अपनी ही गठरी ले ली और इस आदमी ने भी। और बड़ी गड़गड़ाहट हुई बादलों में और भगवान उस आदमी से बोले क्‍यों अब क्‍या हुआ? तो उसने कहा कि जब गठरियों देखीं तो दूसरों की इतनी बड़ी मालूम हूई, और स्‍वयं की छोटी । फिर बोला कि कम से कम अपने दुख से वाकिफ तो है इस उम्र में दूसरों के दुख भला कौन लें।  इससे पहले दूसरों के दुख कभी देखे ही नही थे आज देखें तो पता लगा कि उनके दुख तो मुझसे भी ज्‍यादा है अब इस स्थिति को जानने के बाद वह व्‍यक्ति भगवान को धन्‍यवाद देता हुआ वहॉं से अपने दुख की गठरी को उठाकर घर ले आया और फिर उन्‍हीं दुखो के साथ शेष जीवन को सुखमय व्‍यतीत करने लगा। दोस्‍तों ठीक इसी प्रकार आपके दुख भी भगवान ने उतने ही दिये है जिसमें आप जीवन को न सिर्फ जी सकें बल्कि सुखपूर्वक जी सकें। और एक दिन आप देंखेंगे कि वह दुख कुछ भी नहीं है और आप अपने लक्ष्‍य को प्राप्‍त कर अपने जीवन को सुखी और समृद्ध बना पायेंगे।




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3 comments:

  1. खुशियों का यह ब्लॉग बहुत अच्छा है।

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  2. Motivation wala blog h...Kaafi achcha lga...

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